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इजहार ए मोहब्बत


 इजहार ए मोहब्बत


एक  रोज मैं ठहरा रहा महफिल में
लेने अनुभव वहां के शोर का
तेज गूंजती आवाज के बीच
एक चेहरा दिखाई दिया मुझे खामोशी का

मैं गया फिर उसकी और कुछ सोचकर
आखिर ऐसी क्या बात है....
सहम सी गई वो एकदम 
और बोली आपसे हमें मोहब्बत है

मैं चौंक गया अचानक 
की आखिर ये कैसा व्यवहार है
वो बोली जानते तो हो तुम भी मुझे
बस इजहार की आज बात है

मैं भी शरमा गया फिर
बोला इस भीड़ के शोर में
खामोशी ही तो तेरा स्वभाव है

शांत मन और खुली सोच
की अंतरात्मा हो तुम और
मुझे भी तुमसे प्यार है

फिर देखा मैंने अपना आईना
और कर दिया इजहार अपने प्यार का
खुद से ही किया वादा मोहब्बत का

आखिर खुद से भी होती है मोहब्बत
यही तो असली करार है ।

चाहे तन्हा खुद से ही बाते 
पर इजहार की ही तो आज रात है ।

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7 Comments

Punam verma

11-Feb-2023 09:09 AM

Very nice

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बहुत ही सुंदर सृजन

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Varsha_Upadhyay

10-Feb-2023 08:11 PM

Nice 👌

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